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सीने में जकड़न और खांसी से हैं आपके बच्‍चे परेशान, तो काम आएंगे ये देसी नुस्‍खे

Bacho ko khansi hone par kya kare: आयुर्वेद के अनुसार तिल का तेल, पान का पत्ता, मुनक्का और जायफल बच्चों की सर्दी, खांसी और सांस की तकलीफ में राहत देते हैं. सर्दियों में बच्चों की सांस की समस्याओं को आयुर्वेदिक नुस्खे जैसे तिल का तेल मालिश, पान का पत्ता और ड्राई फ्रूट्स से कम किया जा सकता है.

सीने में जकड़न और खांसी से हैं आपके बच्‍चे परेशान, तो काम आएंगे ये देसी नुस्‍खे
बच्‍चों को ठंड से बचाना अब नहीं होगा मुश्किल. फोटो: Freepik

Home Remedy for Cold: बढ़ता पॉल्‍यूशन न केवल बड़ों को बल्कि बच्‍चों को भी तेजी से प्रभावित कर रहा है. वैसे भी विंटर्स बच्चों के लिए चुनौतियां लेकर आता है. ठंड और सर्द हवाएं बच्‍चों की सेहत पर तेजी से असर डालने लगती हैं. इस दौरान बच्‍चे अकसर सीने में जकड़न, खांसी या सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याओं से परेशान होते नजर आने लगते हैं, जिसके कारण वह न तो खेल पाता है और न ही सो पाता है. पूरे दिन बेचैनी रहती है. ऐसे में दादी-नानी की पीढ़ियों से चले आ रहे पारंपरिक नुस्खे काफी मददगार साबित हो सकते हैं.

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अगर आपके दूध पर निर्भर है बच्‍चा

आयुर्वेद के अनुसार, बच्चों में ठंड के कारण होने वाली समस्या को रोकने और सुधारने के लिए शरीर और मन दोनों का बैलेंस होना जरूरी है. अगर बच्चा मां के दूध पर निर्भर है, तो मां का खान-पान शुद्ध और संतुलित होना चाहिए. ठंडी तासीर वाली चीजें, भारी और मसालेदार भोजन, या गैस व कब्ज पैदा करने वाले खाने से बचना चाहिए. मां की पाचन शक्ति और इम्यूनिटी ठीक होने पर बच्चे को भी लाभ मिलता है.

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तिल का तेल है वरदान

आयुर्वेद में तिल का तेल एक वरदान माना गया है. इसमें गर्म तासीर के साथ-साथ एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं. यह सांस लेने के रास्‍ते को खोलने, फेफड़ों की नसों को आराम देने और बलगम को निकालने में मदद करता है.

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कैसे करें तिल के तेल का इस्‍तेमाल | Kaise karen til ke tel ka istemal

छोटे बच्चों के लिए तिल के तेल की हल्की गर्म मालिश सबसे असरदार उपाय है. इसे हल्का गर्म करके बच्चे के सीने, पीठ और हाथ-पैरों पर धीरे-धीरे मसाज करना चाहिए. मसाज करते समय हल्के हाथों का प्रयोग करें, ताकि बच्चे को आराम मिले. यह न सिर्फ ठंड और जकड़न को कम करता है, बल्कि बच्चे की नींद को बेहतर बनाता है.

पान का पत्ता आएगा काम

पान का पत्ता भी आयुर्वेद में एक अद्भुत उपाय माना गया है. इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और एक्सपेक्टोरेंट गुण मौजूद होते हैं, जो बलगम को निकालकर फेफड़ों की नसों को आराम देते हैं. इसके लिए पान का पत्ता हल्का सा तवे पर सेंक लें और ऊपर से तिल का तेल लगाएं. ध्यान रहे कि पत्ता हल्का-सा गर्म हो. फिर इसे बच्चे के सीने पर रखें और ऊपर से मुलायम कपड़ा ढक दें. यह उपाय ठंडी हवा से होने वाली जकड़न और खांसी को कम करने में मदद करता है.

ड्राईफ्रूट हैं हर मर्ज की दवा

जायफल और छुआरे भी बच्चों की सर्दियों की जकड़न में राहत देने वाले नेचुरल उपाय कहे जा सकते हैं. आयुर्वेद में जायफल को हल्की गर्म तासीर वाला माना गया है, जो पाचन को सुधारता है और शरीर को अंदर से गर्म रखता है.

मुनक्‍का नहीं किसी से कम

अगर बच्चे को मुनक्का, दूध में भीगा छुआरा और थोड़ी मात्रा में जायफल पाउडर मिलाकर खिलाया जाए, तो यह जकड़न और खांसी को कम करता है और बच्चे की नींद में सुधार करता है.

छोटे बच्चों में जकड़न, खांसी या सांस की समस्या गंभीर हो सकती है. इसलिए किसी भी उपाय को अपनाने से पहले हमेशा अपने बाल रोग विशेषज्ञ या डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें. 

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इनपुट: IANS HINDI

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